तुम रहो मै रहूँ और कोई न हो
दरम्यान हमारे हवा भी न हो
हंसती रहो खिलखिलाती रहो
चेहरे पे तनिक भी मायूसी न हो
तुम रहो तो सब कुछ रहे अगर
तुम न हो तो ये ज़िंदगी न हो
चाहत तो है सारा जहाँ वार दूँ
पास तेरे कोई भी कमी न हो
फ़क़त नेकियाँ ही नेकियाँ हो
राह में तेरी एक भी बदी न हो
मुकेश इलाहाबादी ------
दरम्यान हमारे हवा भी न हो
हंसती रहो खिलखिलाती रहो
चेहरे पे तनिक भी मायूसी न हो
तुम रहो तो सब कुछ रहे अगर
तुम न हो तो ये ज़िंदगी न हो
चाहत तो है सारा जहाँ वार दूँ
पास तेरे कोई भी कमी न हो
फ़क़त नेकियाँ ही नेकियाँ हो
राह में तेरी एक भी बदी न हो
मुकेश इलाहाबादी ------
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