भूल
जाता हूँ अपने सारे दुःखों को
सारे संघर्षों को
अवरोधों को
जिस्म और रूह पे लगे घावों को
जब - जब याद आते हो तुम
अंधेरों से निकल
सुनहरे उजाले में आ जाता हूँ
जब - जब याद आते हो तुम
मुकेश इलाहाबादी --------------
जाता हूँ अपने सारे दुःखों को
सारे संघर्षों को
अवरोधों को
जिस्म और रूह पे लगे घावों को
जब - जब याद आते हो तुम
अंधेरों से निकल
सुनहरे उजाले में आ जाता हूँ
जब - जब याद आते हो तुम
मुकेश इलाहाबादी --------------
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