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Thursday, 30 August 2018

दर्द जैसे जैसे बढ़ता है

दर्द  जैसे  जैसे  बढ़ता है
ज़ख्म वैसे वैसे हँसता है

तेरी  हँसी  इक झरना है
मुझको  ऐसा  लगता है

तेरा हँस  के  बातें करना 
मुझको अच्छा लगता है

आखिर तू मुझको बतला
मुक्कु तेरा क्या लगता है 

मुकेश इलाहाबादी -----

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