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Thursday, 20 September 2018

मन , के मानसरोवर में

मन ,
के मानसरोवर  में
उतरोगी तो, तुम्हे
दो कबूतर
अनादि काल से बैठे मिलेंगे
गुटरगूँ - गुटरगूँ
करते मिलेंगे

जिसमे कि - एक तुम हो
                एक मै हूँ

(देखो तुम हँसना नहीं - पर ये सच है - मेरी मैना
मेरी बुलबुल - मेरी गुतुंगरगूं )

मुकेश इलाहाबादी ------------------------------


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