जिस,
दिन से नदी से
किनारा कर लिया
उस दिन से
प्यास को भी अलविदा कह दिया
अब,
तुम्हारे लौट आने से क्या होगा?
ज़िंदगी ने ही जब मुझे
अलविदा कह दिया
अब ,
तुम्हारे मरहम लगाने से
क्या होगा?
जो दर्द सहना था, वो तो सह लिया
मुकेश इलाहाबादी --------------------
दिन से नदी से
किनारा कर लिया
उस दिन से
प्यास को भी अलविदा कह दिया
अब,
तुम्हारे लौट आने से क्या होगा?
ज़िंदगी ने ही जब मुझे
अलविदा कह दिया
अब ,
तुम्हारे मरहम लगाने से
क्या होगा?
जो दर्द सहना था, वो तो सह लिया
मुकेश इलाहाबादी --------------------
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