डाल से टूटकर मै किधर जाऊंगा
कुछ देर उड़ूंगा फिर गिर जाऊँगा
मेरे हिस्से मे कोई आफताब नही
सिर्फ अंधेरे मिलेंगे जिधर जाऊँगा
प्यास से मेरा गला खुश्क हो रहा है
जिधर आब मिलेगा उधर जाऊँगा
तुझे क्या मालूम तू मेरे लिए क्या है
तू मुझे न मिली तो मै मर जाऊँगा
मुकेश इलाहाबादी.................
कुछ देर उड़ूंगा फिर गिर जाऊँगा
मेरे हिस्से मे कोई आफताब नही
सिर्फ अंधेरे मिलेंगे जिधर जाऊँगा
प्यास से मेरा गला खुश्क हो रहा है
जिधर आब मिलेगा उधर जाऊँगा
तुझे क्या मालूम तू मेरे लिए क्या है
तू मुझे न मिली तो मै मर जाऊँगा
मुकेश इलाहाबादी.................
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