मौन समर्पण के कागज़ पे लिखूँगा
इक ख़त तुम्हारे नाम से लिखूंगा
सुना! नदी सा कल -कल बहती हो
तुम्हारे गालों पे लहरों से लिखूंगा
गुलाब सा महकने लगेंगे अल्फ़ाज़
ग़ज़ल तुझे बाँहों में ले के लिखूँगा
मुकेश इलाहाबादी ----------------
इक ख़त तुम्हारे नाम से लिखूंगा
सुना! नदी सा कल -कल बहती हो
तुम्हारे गालों पे लहरों से लिखूंगा
गुलाब सा महकने लगेंगे अल्फ़ाज़
ग़ज़ल तुझे बाँहों में ले के लिखूँगा
मुकेश इलाहाबादी ----------------
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