कभी दरिया तो कभी समंदर हो गयी आँखे
कभी ऐसा लगे है जैसे पत्थर हो गयी आँखे
अभी तक तो चल रहा था कारवां बदस्तूर
तुझको देखा जो बेनक़ाब ठहर गयी आँखे
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
कभी ऐसा लगे है जैसे पत्थर हो गयी आँखे
अभी तक तो चल रहा था कारवां बदस्तूर
तुझको देखा जो बेनक़ाब ठहर गयी आँखे
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
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