हमसे बेहतर मिल गया होगा
इसी लिए इग्नोर किया होगा
आसमाँ से फिर सितारा टूटा
दिल के अंदर कुछ टूटा होगा
मेरी ही कोई कमी रही होगी
तभी तो वो बेवफा हुआ होगा
हमको कमतर समझा उसने
कुछ देखा होगा समझा होगा
जिस्म पे इत्ते घाव यूँ ही नहीं
किसी ने तो पत्थर फेंका होगा
मुकेश इलाहाबादी ------------
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