Pages

Monday, 25 February 2019

पत्थर भी प्यासे होते होंगे

यकीनन
पत्थर भी प्यासे होते होंगे
तभी
सीने में दरिया
और झील बहाते होंगे

आब
की ही मुहब्बत में तो
ये पत्थर दरिया संग बह बह कर
टूटते होंगे
पर्वत से पत्थर
पत्थर से कंकर
कंकर से रेशा - रेशा टूटकर रेत् बनते होंगे
फिर किसी प्रेमी के सीने में सहरा बन बहते होंगे

कि - यकीनन पत्थर भी प्यासे होते होंगे

मुकेश इलाहाबादी -------

No comments:

Post a Comment