मेरे
लिए कविता लिखना
महज़ आदत नहीं है
कविता के द्वारा
तुम्हरी यादों की बेल को
काटता छाँटना और सहेज के
मन के गुलदश्ते में सजाना होता है
कविता
लिखना मेरे लिए
चारों तरफ फ़ैली रेत् को उलीचना
और उसके नीचे बहते जल को ढूंढना भी है
कविता लिखना और पढ़ना
मेरे लिए
प्राण वायु को अंदर लेना और बाहर ले जाना भी है
या कह सकते हो
कविता पढ़ना और लिखना
मेरे लिए साहित्यिक प्राणायाम भी है
मुकेश इलाहाबादी ----------------
लिए कविता लिखना
महज़ आदत नहीं है
कविता के द्वारा
तुम्हरी यादों की बेल को
काटता छाँटना और सहेज के
मन के गुलदश्ते में सजाना होता है
कविता
लिखना मेरे लिए
चारों तरफ फ़ैली रेत् को उलीचना
और उसके नीचे बहते जल को ढूंढना भी है
कविता लिखना और पढ़ना
मेरे लिए
प्राण वायु को अंदर लेना और बाहर ले जाना भी है
या कह सकते हो
कविता पढ़ना और लिखना
मेरे लिए साहित्यिक प्राणायाम भी है
मुकेश इलाहाबादी ----------------
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