कपास
के फूल हैं
तुम्हारे गाल
सर्दियों में खिल जाते हैं
स्वेत रूई के फाहों सा
जिन्हे हथेलियों में लेते ही
होता है गुनगुनी गर्माहट का एहसास
और यही तुम्हारे
गाल तपते मौसम में हो जाते हैं
बर्फ के गोले जिन्हे देखने भर से ही
मिल जाती है शीतलता
और - जब तुम हंसती हो तो
लगता है कोई दूधिया झरना फूट पड़ा हो
बर्फ की स्वेत चट्टानों से
सच
सुमी : तुम्हारे गाल
कपास के फूल हैं - बर्फ के गोले हैं
और तुम्हारी हंसी है दूधिया झरना
जिसे तुम ऐसे ही बहते रहने देना
मुकेश इलाहाबादी --------------
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