Pages

Monday, 24 February 2020

बेहद सर्द हवाएं हैं

बेहद
सर्द हवाएं हैं
मगर, मै जल रहा हूँ
तुम
महसूस कर सकती हो
अपने अदृश्य हाथो को
मेरे माथे पे रख के
इस भयानक
रात में भी
मुकेश इलाहाबादी ,,,,

No comments:

Post a Comment