फिर
मैं बहुत देर तक
उदास रहता हूं
जब भी तेरी आँखों की नमी महसूस करता हूं
मैं बहुत देर तक
उदास रहता हूं
जब भी तेरी आँखों की नमी महसूस करता हूं
बेसबब
घर से निकल देता हूँ
फिर वीरान राहों पे
देर तक भटकता हूँ
घर से निकल देता हूँ
फिर वीरान राहों पे
देर तक भटकता हूँ
तन्हाई
जब बहुत बेचैन करती है
आईने को सामने रख
ख़ुद ही ख़ुद से
बात करता हूँ
जब बहुत बेचैन करती है
आईने को सामने रख
ख़ुद ही ख़ुद से
बात करता हूँ
जानता हूँ
घाटी से कोई जवाब न आएगा
फिर भी
तुझको बार बार पुकारता हूँ
घाटी से कोई जवाब न आएगा
फिर भी
तुझको बार बार पुकारता हूँ
मुकेश इलाहाबादी,,,,,,
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