वो शख्श मुझे इस लिए अच्छा लगता है
कि मेरा दर्द वो बड़े एहतराम से सुनता है
कि मेरा दर्द वो बड़े एहतराम से सुनता है
अपनों से तो ये चराग़ ही बेहतर निकला
स्याह रातों में मेरे साथ - साथ जलता है
स्याह रातों में मेरे साथ - साथ जलता है
रोशनदान में ये कबूतर की गुटरगूँ नहीं है
सिर्फ यही तो है जो मुझसे बात करता है
सिर्फ यही तो है जो मुझसे बात करता है
मुद्दत हुई दर्द से मैंने दोस्ती कर ली अबतो
मेरे लतीफों पे मेरा ज़ख्म- ज़ख्म हँसता है
मेरे लतीफों पे मेरा ज़ख्म- ज़ख्म हँसता है
हर हाल में मुझको उदास देखने वाले लोग
कहने लगे हैं मुकेश बड़ा बेशरम लगता है
कहने लगे हैं मुकेश बड़ा बेशरम लगता है
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
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