मुझसे रूठ कर चला गया कोई
आँखे अश्कबार कर गया कोई
सीना और गला जल रहा मेरा
तेज़ाबे ईश्क़ पिला गया कोई
शब भर करवटें बदलता रहा हूँ
शुबो लोरी सुना सुला गया कोई
तेरे नाम का दिया जला रखा था
सांझ चराग़ को बुझा गया कोई
बड़ी मुश्किल से तो सुलझी थी
ज़िंदगी फिर उलझा गया कोई
मुकेश इलाहाबादी ---------
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