मेरे सीने में खंज़र चला गया कोई
दे गया आज फिर घाव नया कोई
दे गया आज फिर घाव नया कोई
एक ही चराग़ था दिल दहलीज़ पे
सांझ वो भी दिया बुझा गया कोई
सांझ वो भी दिया बुझा गया कोई
बड़ी शिद्दत से तेरा नाम लिखा था
दिलजला आ कर मिटा गया कोई
दिलजला आ कर मिटा गया कोई
उसकी आवाज़ में नुक़रई खुनक है
शायद उसके जी को भा गया कोई
शायद उसके जी को भा गया कोई
मुक्कू नहीं बताऊंगा मै भी तुम्हे
कि मेरे दिल पे भी छा गया कोई
कि मेरे दिल पे भी छा गया कोई
मुकेश इलाहाबादी --------------
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