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Tuesday, 28 July 2020

पत्थर से इबादत कर रहा हूँ

पत्थर से इबादत कर रहा हूँ
पानी पे इबारत लिख रहा हूँ

जिनके हाथो में खंज़र हैं मै
उन्ही लोगों से मिल रहा हूँ

जानता हूँ आग का दरिया है
फिर भी नंगे पाँव चल रहा हूँ

तेरी यादें मेरे लिए मरहम हैं
अपने ज़ख्मो पे मल रहा हूँ

जिनके कान नहीं हैं मुकेश
उनसे शिकायत कर रहा हूँ

मुकेश इलाहाबादी ------------

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