-1-
एक
लम्बी
बहुत लम्बाई लिए
हुए उदास रास्ता
जिसके दोनों ओर
यादों के
ऊंचे - ऊंचे
चिनार और देवदार के
दरख्तों के बीच
खामोशी की चादर
ओढ़े चल रहा हूँ
एक अर्से से
थक कर
चूर हो जाने
तक के लिए
-2-
मेरे
पास दो ही रास्ते हैं
एक जो
तुम्हारी तरफ जाता है
एक जो तुम्हारी तरफ नहीं जाता
पहले वाले की तरफ
मै आ नहीं सकता
दुसरे रास्ते पे
मै नहीं जाना चाहता
लिहाज़ा मेरे पास
एक ही विकल्प बचता है
अपने ही दर पे
खड़े रहना
अनंत काल तक
या फिर तनहाई के रस्ते पे
चलते रहना
अनवरत
मुकेश इलाहाबादी ----------------
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