ज़िंदगी मुस्कुराई कभी - कभी
मुझसे मिलने आई कभी कभी
आफ़ताब दहकता रहा सफर में
मेरे सिर छाँह आई कभी -कभी
तीरगी लिए दिए चलता रहा हूँ
रोशनी झिलमिलाई कभी-कभी
उदास नज़्म गाती रही ज़िंदगी
खुशी से गुनगुनाई कभी - कभी
करवट बदलते बीत जाती है शब
आँखों में नींद आयी कभी -कभी
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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