ऐसा भी नहीं तुझसे मिला नही
ख्वाबों को मै झूठा कहता नही
जिससे मिलता हूँ तेरी बात करूँ
मेरे पास कोई और किस्सा नही
तुझसे ही तो मेरी साँसे चलती हैं
कैसे कहू दूँ तू मेरा हिस्सा नही
चंपा नहीं चमेली नहीं गुलाब नहीं
गुलशन में कोई फूल तुम सा नहीं
तेरे जाने के बाद ये घर वीराना हैं
सिवाय मुक्कू के कोइ रहता नहीं
मुकेश इलाहाबादी -------------
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