-1 -
दिन
खरगोश सा भागता है
रात
कछुए सा रेंगती है
अहर्निश
रहता हूँ "मै "
एक दौड़ में
-2 -
सुबह
सुबह सूरज
उग आता है सिर पे
साँझ
चाँद खिल उठता है
ख्वाबों में
अहर्निश
चक्कर लगाता हूँ
जाने किस सौर मंडल का
हिस्सा हूँ मै ??/
मुकेश इलाहाबादी ----------
No comments:
Post a Comment