बहुत
पहले मै
पहाड़ में तब्दील हो गया था
जिसपे
ख़ामोशी की
मोटी बर्फ जम गयी थी
फिर ,
एक दिन
तुम्हारे नाम का सूरज उगा
और
फिर तुम्हारे गालों की
सुर्ख धूप से बर्फ पिघलने लगी
और मै धीरे - धीरे
झरने में तब्दील हो गया हूँ
किसी सांझ तुम भी
चाँद बन
उतर आओ
और हम करें
केलि
मुकेश इलाहाबादी -----
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