अगर
किसी दिन नदियाँ
अपने प्रेमी समंदर का रास्ता छोड़
लौटने लगें
अपने पिता हिमालय की ओर
चञ्चल चँद्रमा अपनी चंचलता
और अपनी सत्ताईस प्रेमिकाएँ छोड़
किसी अज्ञात छोर पे जा
माला जपने लगे
भौंरा गुलशन के सारे
कोमल और खूबसूरत फूलों को
अलविदा कह संन्यास ले ले
और,, मुक्कु तुम्हारे लिए
कविता लिखना छोड़
गम शुम रहने लगे
उस दिन समझ लेना
दुनिया से प्रेम विदा हो गया है
क्यूँ तुम सुन रही हो न सुमी ????
मुकेश इलाहाबादी --------------
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