बैठे ठाले की तरंग --------------
उदास नगमो का दीवान दिया जाता हूँ
ये वसीयत तुम्हारे नाम किये जाता हूँ
तेरी दास्ताने बेवाफाई याद कर के,
जाम ऐ तन्हाई सुबह शाम पिए जाता हूँ
अंदाज़ - ऐ - फकीरी में काट दी ज़िन्दगी
अब ये तबियत तुम्हारे नाम किये जाता हूँ
बाद मरने की भी मुझे याद करती रहो
यादों के कुछ लतीफे ईनाम दिए जाता हूँ
----------------- मुकेश इलाहाबादी
उदास नगमो का दीवान दिया जाता हूँ
ये वसीयत तुम्हारे नाम किये जाता हूँ
तेरी दास्ताने बेवाफाई याद कर के,
जाम ऐ तन्हाई सुबह शाम पिए जाता हूँ
अंदाज़ - ऐ - फकीरी में काट दी ज़िन्दगी
अब ये तबियत तुम्हारे नाम किये जाता हूँ
बाद मरने की भी मुझे याद करती रहो
यादों के कुछ लतीफे ईनाम दिए जाता हूँ
----------------- मुकेश इलाहाबादी
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