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Tuesday, 20 March 2012

महकी महकी रातें हैं, बहके बहके दिन

बैठे ठाले की तरंग -----------------------

महकी महकी रातें  हैं, बहके बहके दिन
बोली तेरी सुन कर हम चहके सारे दिन

फीका महुआ, आम दशहरी,खटटे सारे फल
मीठी मीठी बातें  तेरी, हम गुनते सारी दिन

जान न पायी दुनिया सारी, पी कर आये बोतल
थोडी़  तेरी ऑखों से पी, हम बहके सारा दिन

मुकेश इलाहाबादी -----------------------------

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