अक्सर, एक शरारत मीठी सी
बैठे ठाले की तरंग ----
अक्सर,
एक शरारत मीठी सी
तुम्हारे
चेहरे पे खिलती
जिसे तुम मेरी तरफ
उछल कर,
चल देतीं मुड़कर
चाय, काफी या ऐसा ही कुछ लाने
सच
तब तुम
मुझे बहुत अच्छी लगती
सच बहुत अच्छी लगतीं तुम - तब
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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