जो तुम्हे, धुंधला नज़र आता है
बैठे ठाले की तरंग ----------------
जो तुम्हे,
धुंधला नज़र आता है
चेहरा हमारा
वो कुछ और नहीं
वक़्त की गर्द जम गयी है
बस --
हौले से एक बार
अपने आँचल से पोंछ दो
आईना ऐ दिल को
देखना
फिर से साफ़ नज़र आयेगा
चेहरा हमारा
मुकेश इलाहाबादी ------------------
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