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Sunday, 10 March 2013

फैसला तुम्हारे हाथ मे है


फैसला तुम्हारे हाथ मे है
ज़िन्दगी हमारी दांव पे है

तप  रहा है सारा जहान कि
ठंडी हवा तुम्हारी छाँव मे है

शुकून ऐ पल कंही भी नही
चैन बस तुम्हारी ठांव मे है

शहर  मे  तो  मिलती  नही
जो बात तुम्हारे गाँव मे है

दौड़ के लिपट तो जाती तुम
पर हया की ज़ंजीर पाँव मे है

मुकेश इलाहाबादी -------------

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