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Thursday, 7 March 2013

गर परवाने से मुहब्बत नहीं होती

गर परवाने से मुहब्बत नहीं होती
शम्मा यूँ रात भर न जली होती ?
भँवरे तो बेवजह  बदनाम होते हैं
कलियाँ  ही  पहले  मुस्कुराती हैं
मुकेश इलाहाबादी ---------------

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