मुहब्बत खुदा का नूर होती है
जब भी होती है भरपूर होती है
न रुसुवाई से डरती है न मौत से
फिर भी मुहब्बत मजबूर होती है
भले ही पत्थर दिल हो ले कोई भी
इक मर्तबा मुहब्बत ज़रूर होती है
होता है जिनके हुस्न मे बांकपन
अदाएं उन की बड़ी मगरूर होती हैं
पास थे वे तो हमने कुछ न समझा
तड़पता हूँ मुहब्बत जब दूर होती है
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
जब भी होती है भरपूर होती है
न रुसुवाई से डरती है न मौत से
फिर भी मुहब्बत मजबूर होती है
भले ही पत्थर दिल हो ले कोई भी
इक मर्तबा मुहब्बत ज़रूर होती है
होता है जिनके हुस्न मे बांकपन
अदाएं उन की बड़ी मगरूर होती हैं
पास थे वे तो हमने कुछ न समझा
तड़पता हूँ मुहब्बत जब दूर होती है
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
बहुत सुन्दर ...
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