ज़ख्म गहरा लगा होगा
तभी वह शायर बना होगा
कुंए से बुलुप की आवाज़ आयी
किसी ने कंकर फेका होगा
बेसुध सो गया है मुसाफिर
सफ़र मे थक गया होगा
खंडहर खुद ही बताते हैं
यंहा कभी महल रहा होगा
शहर मे इतना सन्नाटा क्यूँ
ज़रूर कोई हादसा हुआ होगा
मुकेश इलाहाबादी -------------
तभी वह शायर बना होगा
कुंए से बुलुप की आवाज़ आयी
किसी ने कंकर फेका होगा
बेसुध सो गया है मुसाफिर
सफ़र मे थक गया होगा
खंडहर खुद ही बताते हैं
यंहा कभी महल रहा होगा
शहर मे इतना सन्नाटा क्यूँ
ज़रूर कोई हादसा हुआ होगा
मुकेश इलाहाबादी -------------
Behtreen prastuti aadarniya ....
ReplyDeleteShukriyaaa Dil kee Aawaaz
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