Pages

Saturday, 8 June 2013

ज़ख्म गहरा लगा होगा

 ज़ख्म गहरा लगा होगा
तभी वह शायर बना होगा

कुंए से बुलुप की आवाज़ आयी
किसी ने कंकर फेका होगा 

बेसुध सो गया है मुसाफिर
सफ़र मे थक गया होगा

खंडहर खुद ही  बताते हैं
यंहा कभी महल रहा होगा

शहर मे इतना सन्नाटा क्यूँ
ज़रूर कोई हादसा हुआ होगा

मुकेश इलाहाबादी -------------

2 comments: