झूठ से शरमाए नही
सच पे मुस्काये नही
पाप उम्र भर किया
अंत तक पछताए नहीं
ज़िन्दगी मुस्किल भरी
पर कभी घबराए नही
मंजिल पे निकल पड़े
राह में सुस्ताये नही
दाद हर शेर पे मिली
हम कभी इतराए नही
मुकेश इलाहाबादी -----
सच पे मुस्काये नही
पाप उम्र भर किया
अंत तक पछताए नहीं
ज़िन्दगी मुस्किल भरी
पर कभी घबराए नही
मंजिल पे निकल पड़े
राह में सुस्ताये नही
दाद हर शेर पे मिली
हम कभी इतराए नही
मुकेश इलाहाबादी -----
No comments:
Post a Comment