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Saturday, 20 July 2013

धूप मे तपन है

धूप मे तपन है
चुप सा चमन है

खुदगर्ज जहां है
अपने मे मगन है

धुऑ ही धुऑ है
तभी तो घुटन है

सभी परॆशान  हैं
ये कैसा चमन है

तुम्हारे शहर मे
झूठ का चलन है

मुकेश इलाहाबादी ..

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