हुस्न खुदा की नेमत है इसपे इतना इतराना क्या ?
जरा जरा सी बात पे इस तरह रुठ जाना कया ?
दोस्ती की है तो थोडा दिल भी बडा रखिये जनाब
हर किसी की हर बात पे तंग नजर रखना क्या ?
कोई जरुरी तो नही कि हर इन्सान गलत ही हो,,
हर शख्श,हर रिष्ते को इक तराजू मे तौलना क्या ?
फिर मुकेश तो अलग किस्म का इन्सान था दोस्त
उसे भी तुम्हारा इस तरह बिन बात छोड जाना क्या?
मुकेश इलाहाबादी ..................
जरा जरा सी बात पे इस तरह रुठ जाना कया ?
दोस्ती की है तो थोडा दिल भी बडा रखिये जनाब
हर किसी की हर बात पे तंग नजर रखना क्या ?
कोई जरुरी तो नही कि हर इन्सान गलत ही हो,,
हर शख्श,हर रिष्ते को इक तराजू मे तौलना क्या ?
फिर मुकेश तो अलग किस्म का इन्सान था दोस्त
उसे भी तुम्हारा इस तरह बिन बात छोड जाना क्या?
मुकेश इलाहाबादी ..................
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