आज फिर हम उनको मनाने चले
फिर हम पत्थर मे जॉ फुकने चले
कुछ ख़त ओर यादें बच रही थी
उन्हे भी हम गंगा मे बहाने चले
इस मतलबी खुदगर्ज दुनिया मे
कयूं तुम अच्छे इंसा ढूंढने चले
तुम तो बहुत अच्छे थे मुकेश,,
मियां आज तुम भी मैखाने चले
मुकेश इलाहाबादी ................
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