एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Saturday, 6 July 2013
हरा दुषाला ओढ कर है बैठी बाहं पसार
हरा दुषाला ओढ कर है बैठी बाहं पसार
आया बादल चूम गया धरती हुयी निहाल
फूलों के संग जब जब भौंरा करे किलोल
कलियों के भी मन मे रह रह उठे हिलोर
मुकेश इलाहाबादी .........................
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment