बेशक़ ज़ुबान मीठी रख
थोड़ा कड़वापन भी रख
घुमा फिरा के मत बोल
तू बातें सीधी साधी रख
है लहज़ा तेरा सर्द बहुत
तबियत में सरगर्मी रख
ख्वाब भले हो ऊंचे -ऊंचे
नज़रे अपनी नीची रख
चहुँ ओर फ़ैली कालिख
चादर अपनी उजली रख
मुकेश इलाहाबादी -----
थोड़ा कड़वापन भी रख
घुमा फिरा के मत बोल
तू बातें सीधी साधी रख
है लहज़ा तेरा सर्द बहुत
तबियत में सरगर्मी रख
ख्वाब भले हो ऊंचे -ऊंचे
नज़रे अपनी नीची रख
चहुँ ओर फ़ैली कालिख
चादर अपनी उजली रख
मुकेश इलाहाबादी -----
No comments:
Post a Comment