तन में इत्र लगाए बैठे हैं
मन मे मैल लिए बैठे हैं
हाथो में गुलाब दिले में
जनाब बबूल उगाए बैठे हैं
हर अदा जिनकी क़ातिल
चेहरा मासूम लिए बैठे हैं
सैकड़ों क़त्ल करके भी
निगाहें मासूम लिए बैठे हैं
दिले दौलत लिए फिरते थे
वही दौलत लुटाए बैठे हैं
मुकेश इलाहाबादी -------
मन मे मैल लिए बैठे हैं
हाथो में गुलाब दिले में
जनाब बबूल उगाए बैठे हैं
हर अदा जिनकी क़ातिल
चेहरा मासूम लिए बैठे हैं
सैकड़ों क़त्ल करके भी
निगाहें मासूम लिए बैठे हैं
दिले दौलत लिए फिरते थे
वही दौलत लुटाए बैठे हैं
मुकेश इलाहाबादी -------
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