मेरे घर की तरफ से रास्ता है
मेरे घर की तरफ से रास्ता है
मेरा सिर्फ इतना ही राब्ता है
जिस दिन पड़ोस में रहने आयी
ज़िदंगी का वो इक हसीं हादसा है
आज भी उसके लिए मै अजनबी हूँ,
ये दिल जिसके नाम से धड़कता है
तूने जब हिना ग़ैर के नाम की रचा ली
फिर मेरे ग़म ऑ खुशी से क्या वास्ता है
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
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