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Thursday, 27 November 2014

आसमाँ पे अपने ख्वाब लिखूंगा

आसमाँ पे अपने ख्वाब लिखूंगा
बादल से मांग के आब लिखूंगा

दहकते हुये दिल की ज़मीन पर
हिज्र की रात व बरसात लिखूंगा

मांगके आबनूसी गेसुओं से स्याही
पलकों पे प्यार का जवाब लिखूंगा

ये फूलों सा बदन, झरने सी हंसी
तेरी हर अदा लाजावाब लिखूंगा

मुकेश ग़जल मे मै अपनी तुम्हे
ज़मीं  पे खिला महताब लिखूंगा

मुकेश इलाहाबादी ---------------

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