आसमाँ पे अपने ख्वाब लिखूंगा
बादल से मांग के आब लिखूंगा
दहकते हुये दिल की ज़मीन पर
हिज्र की रात व बरसात लिखूंगा
मांगके आबनूसी गेसुओं से स्याही
पलकों पे प्यार का जवाब लिखूंगा
ये फूलों सा बदन, झरने सी हंसी
तेरी हर अदा लाजावाब लिखूंगा
मुकेश ग़जल मे मै अपनी तुम्हे
ज़मीं पे खिला महताब लिखूंगा
मुकेश इलाहाबादी ---------------
बादल से मांग के आब लिखूंगा
दहकते हुये दिल की ज़मीन पर
हिज्र की रात व बरसात लिखूंगा
मांगके आबनूसी गेसुओं से स्याही
पलकों पे प्यार का जवाब लिखूंगा
ये फूलों सा बदन, झरने सी हंसी
तेरी हर अदा लाजावाब लिखूंगा
मुकेश ग़जल मे मै अपनी तुम्हे
ज़मीं पे खिला महताब लिखूंगा
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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