हथेली पे चाँद उतर आने दो
हथेली पे चाँद उतर आने दो ख़्वाब हकीकत हो जाने दो रात को शमा की ज़रुरत है अपना घूंघट तो हटाने दो ये दो जिस्म दो किनारे हैं मुहब्बत का पुल बनाने दो ईश्क में दूरियां अच्छी नहीं कुछ और नज़दीक आने दो मेरे पहलू में दो पल बैठ के मुकेश को भी मुस्कुराने दो मुकेश इलाहाबादी ---------
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