तुम्हारे पास भी कोई आईना नहीं है
और मेरे पास सच का पैमाना नहीं है
तमाम उम्र गुज़र गयी तुझे ढूंढने में
तुम्हारे दर से कहीं और जाना नहीं है
तुझसे दिल मिल गया तो बता दिया
सबको अपनी दास्ताँ सुनाना नहीं है
तेरे मासूम चेहरे की रोशनी ही बहुत
मुझे कोई और चराग़ जलाना नहीं है
किसी से भी पूछ कर देख लेना मुकेश
शहर में हम जैसा कोई दीवाना नहीं है
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
और मेरे पास सच का पैमाना नहीं है
तमाम उम्र गुज़र गयी तुझे ढूंढने में
तुम्हारे दर से कहीं और जाना नहीं है
तुझसे दिल मिल गया तो बता दिया
सबको अपनी दास्ताँ सुनाना नहीं है
तेरे मासूम चेहरे की रोशनी ही बहुत
मुझे कोई और चराग़ जलाना नहीं है
किसी से भी पूछ कर देख लेना मुकेश
शहर में हम जैसा कोई दीवाना नहीं है
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
No comments:
Post a Comment