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Thursday, 12 March 2015

बेवज़ह तुम ख़फ़ा हो गए

बेवज़ह तुम ख़फ़ा हो गए
रास्ते अपने जुदा हो गए

बिन खिड़की बिन दरवाज़ा 
तुम इक बंद किला हो गए

आरज़ू थे तुम मेरी  कभी
फिर क्यूँ अब सजा हो गए

तस्वीर सही नहीं  दिखती
चटका हुआ आइना हो गए

है ऐसा क्या हुआ मुकेश ?
तुम इतने बदग़ुमा हो गए


मुकेश इलाहाबादी ---------

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