बेवज़ह तुम ख़फ़ा हो गए
रास्ते अपने जुदा हो गए
बिन खिड़की बिन दरवाज़ा
तुम इक बंद किला हो गए
आरज़ू थे तुम मेरी कभी
फिर क्यूँ अब सजा हो गए
तस्वीर सही नहीं दिखती
चटका हुआ आइना हो गए
है ऐसा क्या हुआ मुकेश ?
तुम इतने बदग़ुमा हो गए
मुकेश इलाहाबादी ---------
रास्ते अपने जुदा हो गए
बिन खिड़की बिन दरवाज़ा
तुम इक बंद किला हो गए
आरज़ू थे तुम मेरी कभी
फिर क्यूँ अब सजा हो गए
तस्वीर सही नहीं दिखती
चटका हुआ आइना हो गए
है ऐसा क्या हुआ मुकेश ?
तुम इतने बदग़ुमा हो गए
मुकेश इलाहाबादी ---------
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