फिर - फिर तुम सावन लिखना
मौसम तुम मनभावन लिखना
जिन आखों मे मै सूरत देखूं
उन नैनों को आनन लिखना
हैं छह रितुऐं और बारह मॉह
प्यार के हफते बावन लिखना
मन की चादर उजली रखना
प्यार की गंगा पावन लिखना
लोग कहें हैं मुझको मुक्कू पर
तुम तो मुझको साजन लिखना
मुकेश इलाहाबादी ---------
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