साहिल पे बैठ के गहराई का पता नहीं लगता
खुश्क होठो से प्यास का अंदाजा नहीं लगता
गले मिलने और हंस के बात कर लेने भर से
है कौन अपना कौन पराया पता नहीं लगता
हरवक्त मुस्कुराते रहने की आदत है उसकी
किस्से है खुश किस्से ख़फ़ा पता नहीं लगता
जिसके दिल में मुहब्बत होती है, मुकेश तो
वो हमें गालियां भी देतो भी बुरा नहीं लगता
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------
खुश्क होठो से प्यास का अंदाजा नहीं लगता
गले मिलने और हंस के बात कर लेने भर से
है कौन अपना कौन पराया पता नहीं लगता
हरवक्त मुस्कुराते रहने की आदत है उसकी
किस्से है खुश किस्से ख़फ़ा पता नहीं लगता
जिसके दिल में मुहब्बत होती है, मुकेश तो
वो हमें गालियां भी देतो भी बुरा नहीं लगता
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------
No comments:
Post a Comment