बदन पे हमारे खुशबू का लिबास है
सफर में अपना तो फूलों का साथ है
लोगों के हाथ में गीता और कुरआन
मेरे पास तो मुहब्बत की किताब है
लोग हैं, कि दरिया लिए फिरते हैं
पास अपने, तेरी आँखों का जाम है
फ़लक, चाँद और सितारे भी ले लो
मुकेश, पास मेरे तो मेरा महताब है
मुकेश इलाहाबादी --------------------
सफर में अपना तो फूलों का साथ है
लोगों के हाथ में गीता और कुरआन
मेरे पास तो मुहब्बत की किताब है
लोग हैं, कि दरिया लिए फिरते हैं
पास अपने, तेरी आँखों का जाम है
फ़लक, चाँद और सितारे भी ले लो
मुकेश, पास मेरे तो मेरा महताब है
मुकेश इलाहाबादी --------------------
No comments:
Post a Comment