तुम पहली बार मिली थी
वह शाम - ऐ-जनवरी थी
दिल की बंज़र ज़मीं पर
ईश्क की कली खिली थी
तेरी वो मासूम मुस्कान,
ज्यूँ ,कोई तितली उड़ी थी
ख्वाब के गगन में,मगन
प्यार की पतंग उड़ी थी
मुझे जो अच्छी लगी, वो
सिर्फ और सिर्फ सुमी थी
मुकेश इलाहबदी --------
वह शाम - ऐ-जनवरी थी
दिल की बंज़र ज़मीं पर
ईश्क की कली खिली थी
तेरी वो मासूम मुस्कान,
ज्यूँ ,कोई तितली उड़ी थी
ख्वाब के गगन में,मगन
प्यार की पतंग उड़ी थी
मुझे जो अच्छी लगी, वो
सिर्फ और सिर्फ सुमी थी
मुकेश इलाहबदी --------
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