जब,
रिश्तों के
ताने बाने बिखर रहे हों
ज़िंदगी
महज़ भाग दौड़ रह गयी हो
आफ़ताब
दूर कहीं उफ़ुक पे
मुँह छुपा
सिसक रहा हो
ऐसे वक़्त में भी
कुछ लोग
दिए सा जल कर
दूसरों के लिए
आफ़ताब बनते हैं
खुद फूल सा खिलते हैं
खुशबू बांटते हैं
ऐसी ही एक खुशबू
एक आफताब जिसमे
सूरज सी रोशनी
और चाँद सी
रूहानी ठंडक और
ख़ूबसूरती है
जिसे ज़माना 'सूफ़िया'
कहता है
जिसका नाम ही नहीं
तबियत भी 'सूफ़ियाना ' है
अभिनय और मॉडलिंग में
आसमान छुआ है
आज उसी का जन्म दिन
ज़माना मना रहा है
ऐसे प्यारे दोस्त को
जन्म दिन की ढेरों ' शुभकामनाएँ '
ढेरों बधाइयाँ
खुदा करे हमारा ये दोस्त
ये गौरव
सालों साल
जब तक कि ये फ़लक पे
महफूज़ हैं
ज़मीन अपनी धूरी पे नाच रही है
तब तक
इस दोस्त की
सूफ़िया की हंसी क़ायम रहे
वे सदा ज़माने को अपने कामो से
अपनी मुहब्बत से रौशन करती रहें
- ढेरों ढेरों ढेरों बधाइयाँ - शुभकामनाएँ
राजीव श्रीवास्तव -----------------------
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