नींद ने
दगा दे दिया
या,
मैंने ही,
नींद से पल्ला
छुड़ा लिया
ये तो पता नहीं
पर,
ये सच है
वर्षों पहले
तुम्हारे जाने के बाद से
आज तक
नींद भर, सोया नहीं
(सुमी ! मेरी उनींदी आँखों का
सच तो यही है )
मुकेश इलाहबदी ---------
दगा दे दिया
या,
मैंने ही,
नींद से पल्ला
छुड़ा लिया
ये तो पता नहीं
पर,
ये सच है
वर्षों पहले
तुम्हारे जाने के बाद से
आज तक
नींद भर, सोया नहीं
(सुमी ! मेरी उनींदी आँखों का
सच तो यही है )
मुकेश इलाहबदी ---------
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